वर्तमान का दशानन
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विजयादशमी का पर्व हम प्रति वर्ष मनाते हैं
ज्ञानी, बलशाली ब्राह्मण सम्राट को जलाते हैं
त्रेता का रावण प्रकांड विद्वान शिव भक्त था
शिव शक्ति पर ही वो ज्ञानी रावण आशक्त था
मां सीता का हरण तो किया पर इज्जत नहीं लूटी
रहा सदा संयम में ब्राम्हणत्व की मर्यादा नहीं टूटी
वंश के उद्धार के लिए उसने बड़ा पाप किया था
राम को लंका बुलाने के लिए माता सीता का हरण किया था
आज का रावण नारी उत्पीड़न के लिए अपहरण करता है
अपनी वासना की पूर्ति के लिए बच्चियों का अपहरण करता है
हमें रावण के पुतले को नहीं आज के रावण को जलाना है
व्याभिचारी रावणों से नारियों की जान और इज्जत बचाना है
हम प्रति वर्ष कितने रावण के पुतले जलाते हैं
परन्तु वर्तमान दशानन को कभी मार नहीं पाते हैं
अगर हमें नारी की जान और इज्जत बचाना है
समाज से बुरे, व्याभिचारी रावणों को हटाना है
स्वरचित:- विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर
आँचल सोनी 'हिया'
07-Oct-2022 05:38 PM
Bahut khoob 💐👍
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Milind salve
07-Oct-2022 05:12 PM
बहुत खूब
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Khan
06-Oct-2022 10:17 PM
Very nice 👍🌺
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